Home भारत होम्योपैथी विवि के चेयरपर्सन डॉ. गिरेन्द्र पाल का निधन

होम्योपैथी विवि के चेयरपर्सन डॉ. गिरेन्द्र पाल का निधन

 

होम्योपैथी शिक्षा, चिकित्सा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अतुल्नीय योगदान रहा

जयपुर : होम्योपैथी उच्च शिक्षा के पुरोधा  एवं होम्योपैथी विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन डॉ. गिरेन्द्र पाल का 24 अगस्त 22 की सुबह 7.27 बजे निधन हो गया। डॉ. पाल काफी दिनों से अस्वस्थ थे। डॉ. पाल का होम्योपैथी शिक्षा, चिकित्सा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अतुल्नीय योगदान रहा। डॉ. पाल का जाना होम्योपैथी कि दुनिया के लिये अपूर्णिय क्षति है।

डॉ. गिरेन्द्र पाल का जन्म 15 नवम्बर 1938 को करौली में हुआ। सन् 1956 में नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल, लखनऊ (उत्तरप्रदेश) में इन्होंने होम्योपैथी की शिक्षा आरम्भ की। सन् 1962 में 5) वर्ष का ग्रेजुएट इन होम्योपैथिक मेडिसिन एवं सर्जरी ;ळभ्डैद्ध का कोर्स पूरा किया एवं एम.डी. की डिग्री आगरा यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। शिक्षा के क्षेत्र में योगदानः सन् 1963 से डॉ. पाल होम्योपैथिक चिकित्सा में सक्रिय योगदान देते रहे है। डॉ. पाल ने 01 सितम्बर सन् 1965 में राजस्थान होम्योपैथिक मेडिकल कालेज की स्थापना की, जहाँ चार वर्षीय होम्योपैथिक डिप्लोमा कोर्स उत्तरप्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के तहत शुरू किया गया। यह राजस्थान राज्य का प्रथम होम्योपैथिक कालेज रहा। वर्ष 1973 में राजस्थान होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के गठन के उपरान्त क्रमशः डीएचएमएस डिप्लोमा कोर्स व बीएचएमएस ग्रेडेड डिप्लोमा कोर्स जारी रहा। वर्ष 1986 में बीएचएमएस डिग्री कोर्स की मान्यता राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से पाल के अथक प्रयासों से प्राप्त हुई। डॉ. पाल ने होम्योपैथिक शिक्षा पद्धति के सुधार के लिए निरन्तर प्रयत्नरत रहते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय में होम्योपैथिक फैकल्टी का गठन करवाया एवं प्रथम डीन पद पर नियुक्त हुए। राजस्थान विश्ववि़द्यालय में 12वर्षों तक सरकार द्वारा प्रतिनिधित सिंडिकेट सदस्य के रूप में इनका होम्योपैथिक शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान रहा, साथ ही कमेटी आफ कार्सेज एवं होम्यो. बोर्ड आफ स्टेडीज का गठन सर्वप्रथम इन्हीं के द्वारा हुआ। डॉ. पाल के अथक प्रयासों से डॉ. एम.पी.के. होम्योपैथिक मेडिकल कालेज, हास्पिटल, एवं रिसर्च सेन्टर, जयपुर सन् 1990 में पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम शुरू करके भारत का पहला पोस्टग्रेजुएट होम्योपैथिक कालेज बना जो कि राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से एफिलियेटेड था।

होम्यापैथी शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. पाल के सराहनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए सन् 1974 में केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद् के गठन के बाद, भारत सरकार द्वारा इन्हें परिषद् का सदस्य नियुक्त किया गया। डॉ. पाल केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद में सक्रिय रूप से एक्जिक्यूटीव कमेटी, एजुकेशन कमेटी के सदस्य रहें एवं फाइनेंस व पी.जी. कमेटी के अध्यक्ष रहे। 25 वर्षों तक इन्होंने होम्योपैथिक शिक्षा के मापदण्ड एवं कोर्सेज बनवाने में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अलावा राजस्थान विश्वविद्यालय के स्पोट्रर्स बोर्ड के चेयरमेन रहे, 17 वर्षों तक राजस्थान विश्वविद्यालय के सीनेट के एवं 12 वर्षों तक सिंडिकेट के सदस्य रहे। राजस्थान विश्वविद्यालय की सिंडीकेट सदस्य के रूप में फाइंनेंस कमेटी, बिल्डिंग कमेटी सदस्य, रिएम्बर्समेन्ट कमेटी एवं अधिकृत चिकित्सक नियुक्ति कमेटी के कन्वीनर भी रहे। डॉ. पाल संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली की सलेक्शन कमेटी के एक्सपर्ट सदस्य के साथ ही उत्तरप्रदेश, बिहार एवं राजस्थान लोक सेवा आयोगों में भी होम्योपैथी के एक्सपर्ट सदस्य रहें। 22 वर्षों तक डॉ. मदन प्रताप खुंटेटा होम्योपैथिक मेडिकल कालेज, अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर के प्रधानाचार्य एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट रहें एव 45 वर्षों तक डॉ. मदन प्रताप खुंटेटा होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं रिसर्च सेन्टर सोसायटी के सेक्रेटरी रहे। सन् 2010 में राजस्थान विधान सभा द्वारा पारित होम्योपैथी विश्वविद्यालय अधीनियम 2010 के द्वारा होम्योपैथी विश्वविद्यालय का गठन डॉ. पाल के अथक प्रयासों से हुआ।

डा. पाल ने होम्योपैथिक शिक्षा पद्धति के सुधार के लिए निरन्तर प्रयत्नरत रहते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय में होम्योपैथिक फैकल्टी का गठन करवाया एवं प्रथम डीन पद पर नियुक्त हुए। राजस्थान विश्ववि़द्यालय में 12वर्षों तक सरकार द्वारा प्रतिनिधित सिंडिकेट सदस्य के रूप में इनका होम्योपैथिक शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान रहा, साथ ही कमेटी आफ कार्सेज एवं होम्यो. बोर्ड आफ स्टेडीज का गठन सर्वप्रथम इन्हीं के द्वारा हुआ। डा. पाल के अथक प्रयासों से डा. एम.पी.के. होम्योपैथिक मेडिकल कालेज, हास्पिटल, एवं रिसर्च सेन्टर, जयपुर सन् 1990 में पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम शुरू करके भारत का पहला पोस्टग्रेजुएट होम्योपैथिक कालेज बना जो कि राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से एफिलियेटेड था। होम्यापैथी शिक्षा के क्षेत्र में डा. पाल के सराहनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए सन् 1974 में केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद् के गठन के बाद, भारत सरकार द्वारा इन्हें परिषद् का सदस्य नियुक्त किया गया। डा. पाल केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद में सक्रिय रूप से एक्जिक्यूटीव कमेटी, एजुकेशन कमेटी के सदस्य रहें एवं फाइनेंस व पी.जी. कमेटी के अध्यक्ष रहे। 25 वर्षों तक इन्होंने होम्योपैथिक शिक्षा के मापदण्ड एवं कोर्सेज बनवाने में सक्रिय भूमिका निभाई।इसके अलावा राजस्थान विश्वविद्यालय के स्पोट्रर्स बोर्ड के चेयरमेन रहे, 17 वर्षों तक राजस्थान विश्वविद्यालय के सीनेट के एवं 12 वर्षों तक सिंडिकेट के सदस्य रहे। राजस्थान विश्वविद्यालय की सिंडीकेट सदस्य के रूप में फाइंनेंस कमेटी, बिल्डिंग कमेटी सदस्य, रिएम्बर्समेन्ट कमेटी एवं अधिकृत चिकित्सक नियुक्ति कमेटी के कन्वीनर भी रहे। डाॅ. पाल संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली की सलेक्शन कमेटी के एक्सपर्ट सदस्य के साथ ही उत्तरप्रदेश, बिहार एवं राजस्थान लोक सेवा आयोगों में भी होम्योपैथी के एक्सपर्ट सदस्य रहें। 22 वर्षों तक डा. मदन प्रताप खुंटेटा होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज, अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर के प्रधानाचार्य एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट रहें एव 45 वर्षों तक डा. मदन प्रताप खुंटेटा होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज एवं रिसर्च सेन्टर सोसायटी के सेक्रेटरी रहे। सन् 2010 में राजस्थान विधान सभा द्वारा पारित होम्योपैथी विश्वविद्यालय अधीनियम 2010 के द्वारा होम्योपैथी विश्वविद्यालय का गठन डा. पाल के अथक प्रयासों से हुआ। यह विश्वविद्यालय भारत मे ही नहीं अपितु पूरे विश्व में केवल होम्योपैथी शिक्षा को बढ़ावा देने वाला एक मात्र विश्वविद्यालय है जिसका उद्घाटन सन् 2011 में वर्तमान मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार अशोक गहलोत द्वारा किया गया। डा. पाल वर्तमान में इस विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन थे।

चिकित्सा क्षेत्र में योगदानः सन् 1963 में जयपुर के ग्रामीण इलाके सांगानेर में प्रथम होम्योपैथिक चिकित्सा केन्द्र की स्थापना डा. पाल द्वारा की गई। निरंतर 51 वर्षों से होम्योपैथी शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी डा. पाल अवैतनिक सेवाएं दे रहे। सन् 1974 से आज तक निरन्तर निःशुल्क होम्योपैथिक चिकित्सा शिविर करौली, चुरू एवं जयपुर के ग्रामीण इलाकों में इनके निर्देशन में लगवाएं गए है। सन् 1973 से होम्योपैथिक अस्पताल, सिन्धी कैम्प, जयपुर में ये अपनी सक्रिय सेवाऐं दे रहें है। जहां प्रतिदिन 300 से ज्यादा रोगियों को चिकित्सा सेवाऐं उपलब्ध करायी जा रहीं है। सन् 2003 में श्री केला देवी चिकित्सालय की शुरूआत की। सन् 2018 में डा. गिरेन्द्र पाल होम्योपैथिक अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र सायपुरा, सांगानेर में हुई। जहां रोजाना लगभग 200 से अधिक ग्रामीणों को निःशुल्क चिकित्सा सेवाऐं उपलब्ध करायी जा रही है।

अनुसंधान क्षेत्र में योगदानः होम्योपैथिक अनुसंधान क्षेत्र में भी डा. पाल का अतुल्य योगदान रहा है। ये केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य रहे हैं तथा काॅलेज प्रांगण में निःशुल्क स्थान देकर केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान केन्द्र (भारत सरकार) की एक अनुसंधान ईकाई की स्थापना करवायी। इस अनुसंधान ईकाई में डा. पाल को अवैतनिक परियोजना अधिकारी नियुक्त किया गया। डा. पाल के निरन्तर प्रयासों से इस अनुसंधान ईकाई को मलेरिया इंस्टीट्युट में अपग्रेड किया गया। इसके बाद यह रिजनल इंस्टीट्युट में अपग्रेड हुआ और अब केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान ईकाई के रूप में अपग्रेड होकर अपने भवन में फरवरी 2019 को स्थानान्तरित हो चुका है। इस अनुसंधान ईकाई के आरम्भ से ही डा. गिरेन्द्र पाल परियोजना अधिकारी के पद पर आसीन रहे। इस क्षेत्रीय अनुसंधान ईकाई द्वारा कई उल्लेखनीय प्रोजेक्ट सम्पन्न हुए है जोकि केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद् के त्रैमासिक बुलेटिन में निरन्तर प्रकाशित हुऐ हैं।मलेरिया, सर्वाइकल स्पोन्डेलायसिस, हिमोरोइड्स्, यूरोलिथियासिस में यहां हुई अनुसंधान उल्लेखनीय है। पिछले 40 वर्षों से डा. पाल इस संस्थान में परियोजना अधिकारी के पद

पर कार्यरत थे। इनके सानिध्य में 50 से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट होम्योपैथिक चिकित्सकों को मार्गदर्शन दिया गया एवं कई उल्लेखनीय अनुसंधान कार्य किये गये। इसके साथ ही ‘नेशनल कैम्पेन आन मदर एवं चाइल्ड हैल्थ के तहत नेशनल कांग्रेस एवं सी.एम. ई. जैसी गतिविधियाँ इन्होंने नियमित रूप से करवाई है। जर्मनी, बर्लिन, यू.एस.ए., रोम, क्वालालाम्पूर, मैक्सिको, लाहौर, रूस, सिंगापूर, मलेशिया एवं आॅस्ट्रेलिया आदि जगहों में नियमित रूप से अन्तराष्ट्रीय होम्योपैथिक कांफ्रेस के सदस्य रहें एवं इन काॅन्फ्रेंसों में अपने अनुसंधान पत्र प्रस्तुत किये। इन्हें होम्योपैथी चिकित्सा, शिक्षा एवं रिसर्च के क्षेत्र में योगदान के लिए कई राजकीय, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए है।

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